tag:blogger.com,1999:blog-46420501081864058992024-02-09T01:19:45.361+05:30वो लिखवाता हैDEEPAKhttp://www.blogger.com/profile/07747454672529741023noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4642050108186405899.post-16560823610626167192012-03-20T23:50:00.005+05:302012-03-20T23:52:27.421+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b><br /><br /><span style="color: #38761d; font-size: x-large;"><u>तेरे चरणों की महिमा...</u></span></b><br />
<b><span style="color: #38761d; font-size: x-large;"><u><br /></u></span><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरे चरणों की महिमा मैं सबको बताता जाऊँ...</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">सुख-दुःख तेरा प्रसाद मैं हँस कर खाता जाऊँ...</span><br /><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरे स्वरूप का सुमिरण हो, नाम हो तेरा हर साँस में,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">नर-नारी में तू दिखे, दिखे तू मुझे आकाश में,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरा ये निर्दोष दर्शन, मैं सबको करवाता जाऊँ,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरे चरणों की महिमा मैं, सबको बताता जाऊँ ।</span><br /><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">मिट गई प्यास हृदय की, भर गया तेरा प्यार,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">सद्गुरु जब से तुम मिले, झूठा लगे संसार,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरी ये अनुकंपा मैं, आँखों से बरसाता जाऊँ,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरे चरणों की महिमा मैं, सबको बताता जाऊँ ।</span><br /><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">भक्ति, सत्संग, जागरण, करें तुमसे प्रार्थना,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">ध्यान, कीर्तन, योग, करें तेरी आराधना,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरी प्राप्ति के मार्ग मैं, सबको सिखाता जाऊँ,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरे चरणों की महिमा मैं, सबको बताता जाऊँ ।</span><br /><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">भगवन तुमने कर दिया, मेरे पापों का निवारण,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तुम ही कष्ट हारण, तुम ही जग तारण,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरे मुख से निकले ग्रन्थ, मैं सबको सुनाता जाऊँ,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरे चरणों की महिमा मैं, सबको बताता जाऊँ ।</span><br /><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">गुरुजी इतनी शक्ति देना, अब उस दलदल में ना जाएँ,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरी असीम कृपा से अब, हम भी ईश्वर को पाएँ,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरे ये सुखदायी गान मैं, मस्ती में गाता जाऊँ,</span><br /><span style="color: #134f5c; font-size: large;">तेरे चरणों की महिमा मैं, सबको बताता जाऊँ ।</span><br /><br /><br /></b></div>DEEPAKhttp://www.blogger.com/profile/07747454672529741023noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4642050108186405899.post-3188980275233074392011-03-14T00:42:00.001+05:302011-03-14T00:45:37.840+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;"><b>गुरुदर्शन</b></span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;"><br />
</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">स्वर्णिम समय होए, तब होता है गुरुदर्शन । </span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">सत् में प्रीति बढ़े, घटे मिथ्या आकर्षण ॥</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;"><br />
</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">गुरुदर्शन से विश्रांति मिलती, अन्तःकरण की प्रसन्नता खिलती</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">हृदय में उमड़ता है सुख, पुलकित हो उठता है मुख</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">रोमांचित रोम-रोम हो जाता, भाव नहीं मन में है समाता</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">दूर से जब झलक है आती, नम आँखें छलक हैं जाती</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">कोमल सुंदर भव्य चरण, सब चाहते इनकी शरण</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">गुरुजी की मुस्कान मनोहर, दुःख संताप को लेती हर</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">मधुर हितकर सरस वाणी, विवेक-संयम-अभयदानी</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">सद्गुरु की करुणामयी दृष्टि, सात्विकता की करती वृष्टि</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">हँसना, उठना, बैठना, हिलना, दिव्य गुरु का बोलना चलना</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">देख देख कर स्वरूप आलौकिक, हो जाए मन प्रसन्न और अधिक</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">प्रेमसिंधु हैं ज्ञाननिष्ठ हैं, सद्गुरु मेरे परमइष्ट हैं</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;"><br />
</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">गुरुदर्शन मिलते रहें विनती ये बार बार ।</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">सेवा की प्रेरणा यही, साधन का आधार ॥</span><br />
<br />
</div>DEEPAKhttp://www.blogger.com/profile/07747454672529741023noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4642050108186405899.post-82324958382618278972011-03-03T12:45:00.002+05:302011-03-10T12:52:58.552+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b>समर्पिता</b><br />
<br />
मिटाया हृदय, छिपाया मन और दिखाया दिल मेरे लिए<br />
अतृप्त मैं कब से प्यासा, तुम बनी साहिल मेरे लिए<br />
<br />
कई बार दुःख, बार-बार दिक्कत, लगातार परेशान मेरे लिए<br />
पूर्ति मेरी, और गँवा दिया तुमने स्वाभिमान मेरे लिए<br />
<br />
किया त्याग, जिया नरक, दिया अपनापन मेरे लिए<br />
धूल था मैं, तुम भी बन गई कण मेरे लिए<br />
<br />
सपने तोड़े, अरमान सिकोड़े, फोड़े ख्वाइश घड़े मेरे लिए<br />
जीवन ने पुकार की, तुम मौत से लड़े मेरे लिए<br />
<br />
आन बेकीमती, मान बेमतलब कि शान भी दूर मेरे लिए<br />
कीचड़ को सुहावना सावन समझा, बनी मयूर मेरे लिए<br />
<br />
मूँद दिए दुःख, बूँद किए आँसू, ढूँढ दिए हल मेरे लिए<br />
मेरी समर्पिता, तुम गई जल में जल मेरे लिए<br />
<div><br />
---------------------------------------------------------------------------------<br />
12th class metha jab main tab likhi gyi thi yah kavita.</div></div>DEEPAKhttp://www.blogger.com/profile/07747454672529741023noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4642050108186405899.post-79251097416171112082011-02-04T23:25:00.001+05:302011-03-14T00:17:26.903+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b>मन</b><br />
<br />
अब...<br />
मालूम हो गया मुझे कि<br />
कौन है.... जिसने<br />
बूँद का लालच दे<br />
मुझसे सागर छीन लिया<br />
होने ना दी मुलाक़ात<br />
मेरी मुझसे और उससे<br />
नभ से विस्तरित विचारों को<br />
छुपा दिया था जिसने<br />
डुबा दिया था<br />
उदित होता दिनकर<br />
खपा दिया था जीवन<br />
बताकर कि<br />
कीचड़ में काली<br />
मोहर पाएगी.....<br />
जो मेरा अपना<br />
मुझे पराया कर रहा था<br />
स्वयं से, दौड़ा<br />
रहा था पीछे<br />
परछाई के पर....<br />
समझा ना इतना की<br />
चल रवि कि ओर<br />
वो छाया तो<br />
पीछे आएगी…..<br />
जान गया हूँ ,<br />
पहचान गया हूँ इसलिए<br />
अपनी नज़रें उससे मोड़ दी ।<br />
बंधनों के कारण का<br />
निवारण कर मैंने<br />
मन की माननी अब छोड़ दी ।<br />
<div><br />
<br />
</div></div>DEEPAKhttp://www.blogger.com/profile/07747454672529741023noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4642050108186405899.post-40482380664135313062011-01-08T23:22:00.001+05:302011-03-14T00:20:17.689+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b>वहाँ और यहाँ</b><br />
<br />
यहाँ सोने का महल खड़ा है ।<br />
वहाँ छप्पर भी फटा पड़ा है ।<br />
<br />
यहाँ चेहरे पर मधुर हँसी है ।<br />
वहाँ पेट में जान फँसी है ।<br />
<br />
यहाँ पड़ोसी के भी गाड़ी में जाते हैं ।<br />
वहाँ बाहर भी फटी साड़ी में जाते हैं ।<br />
<br />
यहाँ खिलौनों से कमरा भरा जा रहा है ।<br />
वहाँ भूख से बच्चा मरा जा रहा है ।<br />
<br />
यहाँ छींक में भी डॉक्टर आता है ।<br />
वहाँ दमे में भी धक्के खाता है ।<br />
<br />
पर<br />
<br />
वहाँ मच्छरों में भी सो रहे हैं ।<br />
यहाँ दौलत में नींद खो रहे हैं ।<br />
<br />
वहाँ आँसुओं के साथ हंसी की कमी नहीं ।<br />
यहाँ तो प्यार में भी बात जमी नहीं ।<br />
<br />
वहाँ पसीने की बूँद चहक रही है ।<br />
यहाँ बोतल से जिंदगी बहक रही है ।<br />
<br />
वहाँ कौड़ियों में अच्छी तरह संतुष्ट हैं ।<br />
यहाँ करोड़ों में भी नज़रें दुष्ट हैं ।<br />
<br />
वहाँ सदा ईमान की रोटी खाते हैं ।<br />
यहाँ ईमान को ही खा जाते हैं ।<br />
<div><br />
</div></div>DEEPAKhttp://www.blogger.com/profile/07747454672529741023noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4642050108186405899.post-39757975572141625812010-12-27T23:17:00.002+05:302011-03-14T00:22:15.732+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b>लक्ष्य</b><br />
<br />
ओ ! वीर<br />
सिकोड़ कर विचारों को<br />
क्या कभी लक्ष्य आ पाएगा ?<br />
स्वीकार किया कि<br />
पथ में शूल गढ़े हैं<br />
मौसम ज्वालामय है<br />
और.... साथ में....<br />
कोई नहीं है –<br />
पर.... खाकर ठोकर<br />
पत्थर से लड़ना<br />
तो..... बुद्धिमता नहीं<br />
उठ / बढ़<br />
पत्थर क्या, पहाड़ क्या ?<br />
तुझे अब नक्षत्र भी रोक<br />
ना पाएँगे……<br />
निश्चय सुदृढ़ जो कर लिया<br />
बूँद भर भी विश्वास<br />
और धैर्य.....<br />
उस साहस का जन्मदाता होगा<br />
जो लक्ष्य को....<br />
तुझ तक ले आएगा..... ।<br />
<div><br />
</div></div>DEEPAKhttp://www.blogger.com/profile/07747454672529741023noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4642050108186405899.post-35196447144064291432010-12-02T23:13:00.001+05:302011-03-14T00:27:03.542+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b> मेरी आत्मकथा</b><br />
<br />
मेरा जीवन बीता बड़ी कठिनाई में<br />
इस नश्वर जीवन की चढ़ाई में<br />
<br />
बचपन बीत गया<br />
इस ना समझ में आने वाली पढ़ाई में<br />
और मैं डूब गया दुनिया की खटाई में<br />
<br />
जवानी बीती<br />
पुलिस के साथ होने वाली बार-बार की लड़ाई में<br />
और बीवी-बच्चों का सवाल ही ना था इस महंगाई में<br />
<br />
दिन बीतते<br />
हरे मखमल में सपनों की गहराई में<br />
और कभी पैसे वालों से पकड़म पकड़ाई में<br />
<br />
रातें जातीं<br />
हरे नोटों से भरी तिजोरी की कटाई में<br />
और कभी दूसरे भाईयों से पैसे की बंटाई में<br />
<br />
बुढ़ापा बीता<br />
जेल की चक्की से गेहूँ की पिसाई में<br />
और मैं लुट गया जिंदगी की लुटाई में<br />
<br />
अब<br />
यहाँ बैठा हूँ नरक की गरम तेल की कढ़ाई में<br />
और समय बीतता है यमदूतों से पिटाई में<br />
<br />
मेरा जीवन बीता बड़ी कठिनाई में<br />
इस नश्वर जीवन की चढ़ाई में<br />
<div><br />
-----------------------------------------<br />
8th me tha jab yah kavita likhi gyi thi.</div></div>DEEPAKhttp://www.blogger.com/profile/07747454672529741023noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4642050108186405899.post-21309506243015538102010-11-30T11:00:00.001+05:302011-03-14T00:29:38.539+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b>प्यारा हिन्दुस्तान</b><br />
<br />
हिन्दुस्तान ओ मेरा प्यारा हिन्दुस्तान<br />
यह है प्रेम का देश<br />
रखता नहीं किसी से द्वेष<br />
करता है सबका सम्मान<br />
<br />
हिन्दुस्तान ओ मेरा प्यारा हिन्दुस्तान<br />
यहाँ है सबसे ऊँची चोटी<br />
नेता पहने सब गाँधी टोपी<br />
जन-गण-मन इसका राष्ट्रीय गान<br />
<br />
हिन्दुस्तान ओ मेरा प्यारा हिन्दुस्तान<br />
तीन सागर हैं इसके करीब<br />
लोग अधिकतर हैं इसके गरीब<br />
आओ इन्हें बनाएँ धनवान<br />
<br />
हिन्दुस्तान ओ मेरा प्यारा हिन्दुस्तान<br />
पवित्र है यहाँ का नीर<br />
सैनिक भी हैं बड़े वीर<br />
वे हैं बड़े महान्<br />
<div><br />
---------------------------------------------------------<br />
meri pahli kavita hai ye. 7th me likhi gyi thi.</div></div>DEEPAKhttp://www.blogger.com/profile/07747454672529741023noreply@blogger.com0