Saturday, January 8, 2011

वहाँ और यहाँ

यहाँ सोने का महल खड़ा है ।
वहाँ छप्पर भी फटा पड़ा है ।

यहाँ चेहरे पर मधुर हँसी है ।
वहाँ पेट में जान फँसी है ।

यहाँ पड़ोसी के भी गाड़ी में जाते हैं ।
वहाँ बाहर भी फटी साड़ी में जाते हैं ।

यहाँ खिलौनों से कमरा भरा जा रहा है ।
वहाँ भूख से बच्चा मरा जा रहा है ।

यहाँ छींक में भी डॉक्टर आता है ।
वहाँ दमे में भी धक्के खाता है ।

पर

वहाँ मच्छरों में भी सो रहे हैं ।
यहाँ दौलत में नींद खो रहे हैं ।

वहाँ आँसुओं के साथ हंसी की कमी नहीं ।
यहाँ तो प्यार में भी बात जमी नहीं ।

वहाँ पसीने की बूँद चहक रही है ।
यहाँ बोतल से जिंदगी बहक रही है ।

वहाँ कौड़ियों में अच्छी तरह संतुष्ट हैं ।
यहाँ करोड़ों में भी नज़रें दुष्ट हैं ।

वहाँ सदा ईमान की रोटी खाते हैं ।
यहाँ ईमान को ही खा जाते हैं ।